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Sandhi,संधि


संधि (Sandhi)


संधि दो शब्दों से मिलकर बना है सम् + धि। जिसका अर्थ होता है मिलना । हमारी हिंदी भाषा में संधि के द्वारा पुरे शब्दों को लिखने की परम्परा नहीं है। लेकिन संस्कृत में संधि के बिना कोई काम नहीं चलता। संस्कृत की व्याकरण की परम्परा बहुत पुरानी है। संस्कृत भाषा को अच्छी तरह जानने के लिए व्याकरण को पढना जरूरी है। शब्द रचना में भी संधियाँ काम करती हैं।
जब दो शब्द मिलते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द की पहली ध्वनि आपस में मिलकर जो परिवर्तन लाती हैं उसे संधि कहते हैं। अथार्त संधि किये गये शब्दों को अलग-अलग करके पहले की तरह करना ही संधि विच्छेद कहलाता है। अथार्त जब दो शब्द आपस में मिलकर कोई तीसरा शब्द बनती हैं तब जो परिवर्तन होता है , उसे संधि कहते हैं।
उदहारण :- हिमालय = हिम + आलय , सत् + आनंद =सदानंद।

संधि के प्रकार (Sandhi Ke Prakar) :

संधि तीन प्रकार की होती हैं :-
1.     स्वर संधि
2.     व्यंजन संधि
3.     विसर्ग संधि

1. स्वर संधि क्या होती है :-

जब स्वर के साथ स्वर का मेल होता है तब जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं। हिंदी में स्वरों की संख्या ग्यारह होती है। बाकी के अक्षर व्यंजन होते हैं। जब दो स्वर मिलते हैं जब उससे जो तीसरा स्वर बनता है उसे स्वर संधि कहते हैं।
उदहारण :- विद्या + आलय = विद्यालय।

स्वर संधि पांच प्रकार की होती हैं :-

(क) दीर्घ संधि
(ख) गुण संधि
(ग) वृद्धि संधि
(घ) यण संधि
(ड)अयादि संधि

1. दीर्घ संधि का होती है :- 

जब ( अ , आ ) के साथ ( अ , आ ) हो तो बनता है , जब ( इ , ई ) के साथ ( इ , ई ) हो तो बनता है , जब ( उ , ऊ ) के साथ ( उ , ऊ ) हो तो बनता है। अथार्त सूत्र अक: सवर्ण दीर्घ: मतलब अक प्रत्याहार के बाद अगर सवर्ण हो तो दो मिलकर दीर्घ बनते हैं। दूसरे शब्दों में हम कहें तो जब दो सुजातीय स्वर आस पास आते हैं तब जो स्वर बनता है उसे सुजातीय दीर्घ स्वर कहते हैं , इसी को स्वर संधि की दीर्घ संधि कहते हैं। इसे ह्रस्व संधि भी कहते हैं।
उदहारण :- धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
·        पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
·        विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
·        रवि + इंद्र = रविन्द्र
·        गिरी +ईश = गिरीश
·        मुनि + ईश =मुनीश
·        मुनि +इंद्र = मुनींद्र
·        भानु + उदय = भानूदय
·        वधू + ऊर्जा = वधूर्जा
·        विधु + उदय = विधूदय
·        भू + उर्जित = भुर्जित।

2. गुण संधि क्या होती है :- 

जब ( अ , आ ) के साथ ( इ , ई ) हो तो बनता है , जब ( अ , आ )के साथ ( उ , ऊ ) हो तो बनता है , जब ( अ , आ ) के साथ ( ऋ ) हो तो अर बनता है। उसे गुण संधि कहते हैं।
उदहारण :-
·        नर + इंद्र + नरेंद्र
·        सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
·        ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश
·        भारत + इंदु = भारतेन्दु
·        देव + ऋषि = देवर्षि
·        सर्व + ईक्षण = सर्वेक्षण
3. वृद्धि संधि क्या होती है :- जब ( अ , आ ) के साथ ( ए , ऐ ) हो तो बनता है और जब ( अ , आ ) के साथ ( ओ , औ )हो तो बनता है। उसे वृधि संधि कहते हैं।
उदहारण :-
·        मत+एकता = मतैकता
·        एक +एक =एकैक
·        धन + एषणा = धनैषणा
·        सदा + एव = सदैव
·        महा + ओज = महौज

4. यण संधि क्या होती है :- 

जब ( इ , ई ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो बन जाता है , जब ( उ , ऊ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो व् बन जाता है , जब ( ऋ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो बन जाता है। यण संधि के तीन प्रकार के संधि युक्त्त पद होते हैं। (1) य से पूर्व आधा व्यंजन होना चाहिए। (2) व् से पूर्व आधा व्यंजन होना चाहिए। (3) शब्द में त्र होना चाहिए।
यण स्वर संधि में एक शर्त भी दी गयी है कि य और त्र में स्वर होना चाहिए और उसी से बने हुए शुद्ध व् सार्थक स्वर को + के बाद लिखें। उसे यण संधि कहते हैं।
उदहारण :-
·        इति + आदि = इत्यादि
·        परी + आवरण = पर्यावरण
·        अनु + अय = अन्वय
·        सु + आगत = स्वागत
·        अभी + आगत = अभ्यागत

5. अयादि संधि क्या होती है :-

 जब ( ए , , , औ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो अय में , ‘ आय में , ‘ अव में, ‘ आव ण जाता है। य , व् से पहले व्यंजन पर अ , आ की मात्रा हो तो अयादि संधि हो सकती है लेकिन अगर और कोई विच्छेद न निकलता हो तो + के बाद वाले भाग को वैसा का वैसा लिखना होगा। उसे अयादि संधि कहते हैं।
उदहारण :-
·        ने + अन = नयन
·        नौ + इक = नाविक
·        भो + अन = भवन
·        पो + इत्र = पवित्र

2. व्यंजन संधि क्या होती है :-

 जब व्यंजन को व्यंजन या स्वर के साथ मिलाने से जो परिवर्तन होता है , उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
उदहारण :-
·        दिक् + अम्बर = दिगम्बर
·        अभी + सेक = अभिषेक
व्यंजन संधि के 13 नियम होते हैं :-
(1) जब किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण से या य्, र्, ल्, व्, ह से या किसी स्वर से हो जाये तो क् को ग् , च् को ज् , ट् को ड् , त् को द् , और प् को ब् में बदल दिया जाता है अगर स्वर मिलता है तो जो स्वर की मात्रा होगी वो हलन्त वर्ण में लग जाएगी लेकिन अगर व्यंजन का मिलन होता है तो वे हलन्त ही रहेंगे।
उदहारण :- क् के ग् में बदलने के उदहारण
·        दिक् + अम्बर = दिगम्बर
·        दिक् + गज = दिग्गज
·        वाक् +ईश = वागीश
च् के ज् में बदलने के उदहारण :-
·        अच् +अन्त = अजन्त
·        अच् + आदि =अजादी
ट् के ड् में बदलन के उदहारण :-
·        षट् + आनन = षडानन
·        षट् + यन्त्र = षड्यन्त्र
·        षड्दर्शन = षट् + दर्शन
·        षड्विकार = षट् + विकार
·        षडंग = षट् + अंग
त् के द् में बदलने के उदहारण :-
·        तत् + उपरान्त = तदुपरान्त
·        सदाशय = सत् + आशय
·        तदनन्तर = तत् + अनन्तर
·        उद्घाटन = उत् + घाटन
·        जगदम्बा = जगत् + अम्बा
प् के ब् में बदलने के उदहारण :-
·        अप् + द = अब्द
·        अब्ज = अप् + ज
(2) यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन न या म वर्ण ( ङ,ञ ज, , , म) के साथ हो तो क् को ङ्, च् को ज्, ट् को ण्, त् को न्, तथा प् को म् में बदल दिया जाता है।
उदहारण :- क् के ङ् में बदलने के उदहारण :-
·        वाक् + मय = वाङ्मय
·        दिङ्मण्डल = दिक् + मण्डल
·        प्राङ्मुख = प्राक् + मुख
ट् के ण् में बदलने के उदहारण :-
·        षट् + मास = षण्मास
·        षट् + मूर्ति = षण्मूर्ति
·        षण्मुख = षट् + मुख
त् के न् में बदलने के उदहारण :-
·        उत् + नति = उन्नति
·        जगत् + नाथ = जगन्नाथ
·        उत् + मूलन = उन्मूलन
प् के म् में बदलने के उदहारण :-
·        अप् + मय = अम्मय
(3) जब त् का मिलन ग, , , , , , , , व से या किसी स्वर से हो तो द् बन जाता है। म के साथ क से म तक के किसी भी वर्ण के मिलन पर  की जगह पर मिलन वाले वर्ण का अंतिम नासिक वर्ण बन जायेगा।
उदहारण :- म् + क ख ग घ ङ के उदहारण :-
·        सम् + कल्प = संकल्प/सटड्ढन्ल्प
·        सम् + ख्या = संख्या
·        सम् + गम = संगम
·        शंकर = शम् + कर
म् + च, , , , ञ के उदहारण :-
·        सम् + चय = संचय
·        किम् + चित् = किंचित
·        सम् + जीवन = संजीवन
म् + ट, , , , ण के उदहारण :-
·        दम् + ड = दण्ड/दंड
·        खम् + ड = खण्ड/खंड
म् + त, , , , न के उदहारण :-
·        सम् + तोष = सन्तोष/संतोष
·        किम् + नर = किन्नर
·        सम् + देह = सन्देह
म् + प, , , , म के उदहारण :-
·        सम् + पूर्ण = सम्पूर्ण/संपूर्ण
·        सम् + भव = सम्भव/संभव
त् + ग , , , , , ,, , व् के उदहारण :-
·        सत् + भावना = सद्भावना
·        जगत् + ईश =जगदीश
·        भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति
·        तत् + रूप = तद्रूपत
·        सत् + धर्म = सद्धर्म
 (4) त् से परे च् या छ् होने पर च, ज् या झ् होने पर ज्, ट् या ठ् होने पर ट्, ड् या ढ् होने पर ड् और ल होने पर ल् बन जाता है। म् के साथ य, , , , , , , ह में से किसी भी वर्ण का मिलन होने पर म्की जगह पर अनुस्वार ही लगता है।
उदहारण :- म + य , , , व् , , , , ह के उदहारण :-
·        सम् + रचना = संरचना
·        सम् + लग्न = संलग्न
·        सम् + वत् = संवत्
·        सम् + शय = संशय
त् + च , , , , , ल के उदहारण :-
·        उत् + चारण = उच्चारण
·        सत् + जन = सज्जन
·        उत् + झटिका = उज्झटिका
·        तत् + टीका =तट्टीका
·        उत् + डयन = उड्डयन
·        उत् +लास = उल्लास
(5)जब त् का मिलन अगर श् से हो तो त् को च् और श् को छ् में बदल दिया जाता है। जब त् या द् के साथ च या छ का मिलन होता है तो त् या द् की जगह पर च् बन जाता है।
उदहारण :-
·        उत् + चारण = उच्चारण
·        शरत् + चन्द्र = शरच्चन्द्र
·        उत् + छिन्न = उच्छिन्न
त् + श् के उदहारण :-
·        उत् + श्वास = उच्छ्वास
·        उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट
·        सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र
(6) जब त् का मिलन ह् से हो तो त् को द् और ह् को ध् में बदल दिया जाता है। त् या द् के साथ ज या झ का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ज् बन जाता है।
उदहारण :-
·        सत् + जन = सज्जन
·        जगत् + जीवन = जगज्जीवन
·        वृहत् + झंकार = वृहज्झंकार
त् + ह के उदहारण :-
·        उत् + हार = उद्धार
·        उत् + हरण = उद्धरण
·        तत् + हित = तद्धित
(7) स्वर के बाद अगर छ् वर्ण आ जाए तो छ् से पहले च् वर्ण बढ़ा दिया जाता है। त् या द् के साथ ट या ठ का मिलन होने पर त् या द् की जगह पर ट् बन जाता है। जब त् या द् के साथ या ढ की मिलन होने पर त् या द् की जगह परड्बन जाता है।
उदहारण :-
·        तत् + टीका = तट्टीका
·        वृहत् + टीका = वृहट्टीका
·        भवत् + डमरू = भवड्डमरू
, , , , , , + छ के उदहारण :-
·        स्व + छंद = स्वच्छंद
·        आ + छादन =आच्छादन
·        संधि + छेद = संधिच्छेद
·        अनु + छेद =अनुच्छेद
(8) अगर म् के बाद क् से लेकर म् तक कोई व्यंजन हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है। त् या द् के साथ जब ल का मिलन होता है तब त् या द् की जगह पर ल्बन जाता है।
उदहारण :-
·        उत् + लास = उल्लास
·        तत् + लीन = तल्लीन
·        विद्युत् + लेखा = विद्युल्लेखा
म् + च् , , , , प के उदहारण :-
·        किम् + चित = किंचित
·        किम् + कर = किंकर
·        सम् +कल्प = संकल्प
·        सम् + चय = संचयम
·        सम +तोष = संतोष
·        सम् + बंध = संबंध
·        सम् + पूर्ण = संपूर्ण
(9) म् के बाद म का द्वित्व हो जाता है। त् या द् के साथ के मिलन पर त् या द् की जगह पर द् तथा ह की जगह पर ध बन जाता है।
उदहारण :-
·        उत् + हार = उद्धार/उद्धार
·        उत् + हृत = उद्धृत/उद्धृत
·        पद् + हति = पद्धति
म् + म के उदहारण :-
·        सम् + मति = सम्मति
·        सम् + मान = सम्मान
(10) म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् में से कोई व्यंजन आने पर म् का अनुस्वार हो जाता है।त् या द्के साथ के मिलन पर त् या द् की जगह पर च्तथा की जगह पर बन जाता है।
उदहारण :-
·        उत् + श्वास = उच्छ्वास
·        उत् + शृंखल = उच्छृंखल
·        शरत् + शशि = शरच्छशि
म् + य, , व्,, , , के उदहारण :-
·        सम् + योग = संयोग
·        सम् + रक्षण = संरक्षण
·        सम् + विधान = संविधान
·        सम् + शय =संशय
·        सम् + लग्न = संलग्न
·        सम् + सार = संसार
(11) , र्, ष् से परे न् का ण् हो जाता है। परन्तु चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, श और स का व्यवधान हो जाने पर न् का ण् नहीं होता। किसी भी स्वर के साथ के मिलन पर स्वर तथा के बीच च्आ जाता है।
उदहारण :-
·        आ + छादन = आच्छादन
·        अनु + छेद = अनुच्छेद
·        शाला + छादन = शालाच्छादन
·        स्व + छन्द = स्वच्छन्द
र् + न, म के उदहारण :-
·        परि + नाम = परिणाम
·        प्र + मान = प्रमाण
(12) स् से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर आ जाए तो स् को ष बना दिया जाता है।
उदहारण :-
·        वि + सम = विषम
·        अभि + सिक्त = अभिषिक्त
·        अनु + संग = अनुषंग
भ् + स् के उदहारण :-
·        अभि + सेक = अभिषेक
·        नि + सिद्ध = निषिद्ध
·        वि + सम + विषम
(13)यदि किसी शब्द में कही भी ऋ, र या ष हो एवं उसके साथ मिलने वाले शब्द में कहीं भी हो तथा उन दोनों के बीच कोई भी स्वर,, ख ग, , , , , , , , , , व में से कोई भी वर्ण हो तो सन्धि होने पर के स्थान पर हो जाता है। जब द् के साथ क, , , , , , , , , ह का मिलन होता है तब द की जगह पर त् बन जाता है।
उदहारण :-
·        राम + अयन = रामायण
·        परि + नाम = परिणाम
·        नार + अयन = नारायण
·        संसद् + सदस्य = संसत्सदस्य
·        तद् + पर = तत्पर
·        सद् + कार = सत्कार

विसर्ग संधि क्या होती है :-

विसर्ग के बाद जब स्वर या व्यंजन आ जाये तब जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
उदहारण :-
·        मन: + अनुकूल = मनोनुकूल
·        नि:+अक्षर = निरक्षर
·        नि: + पाप =निष्पाप

विसर्ग संधि के 10 नियम होते हैं :-

(1) विसर्ग के साथ च या छ के मिलन से विसर्ग के जगह पर श्बन जाता है। विसर्ग के पहले अगर और बाद में भी अथवा वर्गों के तीसरे, चौथे , पाँचवें वर्ण, अथवा य, , , व हो तो विसर्ग का ओ हो जाता है।
उदहारण :-
मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
 अधः + गति = अधोगति
 मनः + बल = मनोबल
निः + चय = निश्चय
दुः + चरित्र = दुश्चरित्र
ज्योतिः + चक्र = ज्योतिश्चक्र
निः + छल = निश्छल
विच्छेद
·        तपश्चर्या = तपः + चर्या
·        अन्तश्चेतना = अन्तः + चेतना
·        हरिश्चन्द्र = हरिः + चन्द्र
·        अन्तश्चक्षु = अन्तः + चक्षु
(2) विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में कोई स्वर हो, वर्ग के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण अथवा य्, , , , ह में से कोई हो तो विसर्ग का र या र् हो जाता ह। विसर्ग के साथ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर भी श्बन जाता है।
·        दुः + शासन = दुश्शासन
·        यशः + शरीर = यशश्शरीर
·        निः + शुल्क = निश्शुल्क
विच्छेद
·        निश्श्वास = निः + श्वास
·        चतुश्श्लोकी = चतुः + श्लोकी
·        निश्शंक = निः + शंक
·        निः + आहार = निराहार
·        निः + आशा = निराशा
·        निः + धन = निर्धन
(3) विसर्ग से पहले कोई स्वर हो और बाद में च, छ या श हो तो विसर्ग का श हो जाता है। विसर्ग के साथ ट, ठ या ष के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ष्बन जाता है।
·        धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
·        चतुः + टीका = चतुष्टीका
·        चतुः + षष्टि = चतुष्षष्टि
·        निः + चल = निश्चल
·        निः + छल = निश्छल
·        दुः + शासन = दुश्शासन
(4)विसर्ग के बाद यदि त या स हो तो विसर्ग स् बन जाता है। यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में अ या आ के अतिरिक्त अन्य कोई स्वर हो तथा विसर्ग के साथ मिलने वाले शब्द का प्रथम वर्ण क, , , फ में से कोई भी हो तो विसर्ग के स्थान पर ष्बन जायेगा।
·        निः + कलंक = निष्कलंक
·        दुः + कर = दुष्कर
·        आविः + कार = आविष्कार
·        चतुः + पथ = चतुष्पथ
·        निः + फल = निष्फल
विच्छेद
·        निष्काम = निः + काम
·        निष्प्रयोजन = निः + प्रयोजन
·        बहिष्कार = बहिः + कार
·        निष्कपट = निः + कपट
·        नमः + ते = नमस्ते
·        निः + संतान = निस्संतान
·        दुः + साहस = दुस्साहस
(5) विसर्ग से पहले इ, उ और बाद में क, , , , , फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का ष हो जाता है। यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में अ या आ का स्वर हो तथा विसर्ग के बाद क, , , फ हो तो सन्धि होने पर विसर्ग भी ज्यों का त्यों बना रहेगा।
·        अधः + पतन = अध: पतन
·        प्रातः + काल = प्रात: काल
·        अन्त: + पुर = अन्त: पुर
·        वय: क्रम = वय: क्रम
विच्छेद
·        रज: कण = रज: + कण
·        तप: पूत = तप: + पूत
·        पय: पान = पय: + पान
·        अन्त: करण = अन्त: + करण
अपवाद
·        भा: + कर = भास्कर
·        नम: + कार = नमस्कार
·        पुर: + कार = पुरस्कार
·        श्रेय: + कर = श्रेयस्कर
·        बृह: + पति = बृहस्पति
·        पुर: + कृत = पुरस्कृत
·        तिर: + कार = तिरस्कार
·        निः + कलंक = निष्कलंक
·        चतुः + पाद = चतुष्पाद
·        निः + फल = निष्फल
(6) विसर्ग से पहले अ, आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है। विसर्ग के साथ त या थ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर स्बन जायेगा।
·        अन्त: + तल = अन्तस्तल
·        नि: + ताप = निस्ताप
·        दु: + तर = दुस्तर
·        नि: + तारण = निस्तारण
विच्छेद
·        निस्तेज = निः + तेज
·        नमस्ते = नम: + ते
·        मनस्ताप = मन: + ताप
·        बहिस्थल = बहि: + थल
·        निः + रोग = निरोग
·        निः + रस = नीरस
(7) विसर्ग के बाद क, ख अथवा प, फ होने पर विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता। विसर्ग के साथ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर स्बन जाता है।
·        नि: + सन्देह = निस्सन्देह
·        दु: + साहस = दुस्साहस
·        नि: + स्वार्थ = निस्स्वार्थ
·        दु: + स्वप्न = दुस्स्वप्न
विच्छेद
·        निस्संतान = नि: + संतान
·        दुस्साध्य = दु: + साध्य
·        मनस्संताप = मन: + संताप
·        पुनस्स्मरण = पुन: + स्मरण
·        अंतः + करण = अंतःकरण
(8) यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में का स्वर हो तथा विसर्ग के बाद हो तो सन्धि होने पर विसर्ग का तो लोप हो जायेगा साथ ही की मात्रा की हो जायेगी।
·        नि: + रस = नीरस
·        नि: + रव = नीरव
·        नि: + रोग = नीरोग
·        दु: + राज = दूराज
विच्छेद
·        नीरज = नि: + रज
·        नीरन्द्र = नि: + रन्द्र
·        चक्षूरोग = चक्षु: + रोग
·        दूरम्य = दु: + रम्य
(9) विसर्ग के पहले वाले वर्ण में का स्वर हो तथा विसर्ग के साथ अ के अतिरिक्त अन्य किसी स्वर के मेल पर विसर्ग का लोप हो जायेगा तथा अन्य कोई परिवर्तन नहीं होगा।
·        अत: + एव = अतएव
·        मन: + उच्छेद = मनउच्छेद
·        पय: + आदि = पयआदि
·        तत: + एव = ततएव
(10) विसर्ग के पहले वाले वर्ण में का स्वर हो तथा विसर्ग के साथ अ, , , ड॰, ´, , , , ढ़, , , , , , , , , , , , ह में से किसी भी वर्ण के मेल पर विसर्ग के स्थान पर बन जायेगा।
·        मन: + अभिलाषा = मनोभिलाषा
·        सर: + ज = सरोज
·        वय: + वृद्ध = वयोवृद्ध
·        यश: + धरा = यशोधरा
·        मन: + योग = मनोयोग
·        अध: + भाग = अधोभाग
·        तप: + बल = तपोबल
·        मन: + रंजन = मनोरंजन
विच्छेद
·        मनोनुकूल = मन: + अनुकूल
·        मनोहर = मन: + हर
·        तपोभूमि = तप: + भूमि
·        पुरोहित = पुर: + हित
·        यशोदा = यश: + दा
·        अधोवस्त्र = अध: + वस्त्र
अपवाद
·        पुन: + अवलोकन = पुनरवलोकन
·        पुन: + ईक्षण = पुनरीक्षण
·        पुन: + उद्धार = पुनरुद्धार
·        पुन: + निर्माण = पुनर्निर्माण
·        अन्त: + द्वन्द्व = अन्तद्र्वन्द्व
·        अन्त: + देशीय = अन्तर्देशीय
·        अन्त: + यामी = अन्तर्यामी



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